How is the Vice President Elected Easy Notes Complete Knowledge (उपराष्ट्रपति?)
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आज कि इस Post
के माध्यम से हम आप को
उपराष्ट्रपति के बारे में जानकारी देंगे कि उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में अन्तर क्या है, उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कितने रूपये जमा करना पड़ता है,उपराष्ट्रपति
पद का चुनाव के लिए अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति क्या है, उपराष्ट्रपति बनने की घोषणा कैसे की जाती है, उपराष्ट्रपति की योग्यता क्या है तथा उपराष्ट्रपति का बेतन
क्या है। सम्पूर्ण जानकारी के लिए हमारे इस लेख
को जरूर पड़े।
उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है
उपराष्ट्रपति का चुनाव
परोक्ष होता है.उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता
है।इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा और लोकसभा के सांसद शामिल होते हैं।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में अन्तर
दोनों चुनाव प्रक्रिया के
बीच पहला बड़ा फर्क यह है कि राष्ट्रपति चुनाव में संसदों के साथ ही विधायक भी
चुनाव करते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही
वोट डाल सकते हैं। दूसरा फर्क यह है कि संसद के दोनों सदनों के लिए मनोनीत सांसद
राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते. वहीं उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों
के मनोनित सदस्य भी वोटिंग में हिस्सा ले सकते हैं।
भारत के
उप-राष्ट्रपति
नाम
|
कार्यकाल
|
डॉ.
सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888 – 1975)
|
1952-1962
|
डॉ.
जाकिर हुसैन (1897 – 1969)
|
1962-1967
|
वराहगिरि
वेंकटगिरि (1884 – 1980)
|
1967-1969
|
गोपाल
स्वरूप पाठक (1896 – 1982)
|
1969-1974
|
बी.डी.
जत्ती (1913 – 2002)
|
1974-1979
|
न्यायमूर्ति
मोहम्मद हिदायतुल्लाह (1905 – 1992)
|
1979-1984
|
आर.
वेंकटरमण (जन्म – 1910)
|
1984-1987
|
डॉ.
शंकर दयाल शर्मा (1918 – 1999)
|
1987-1992
|
के.
आर. नारायणन (1920 – 1925)
|
1992-1997
|
कृष्णकांत
(1927 – 2002)
|
1997-2002
|
भैरों
सिंह शेखावत (जन्म – 1923)
|
2002-2007
|
मोहम्मद
हामिद अंसारी (जन्म – 1937)
|
2007-2017
|
मुप्पवरपु
वेंकैया नायडू (जन्म – 1949)
|
अगस्त
11, 2017 से वर्तमान तक
|
उपराष्ट्रपति को चुनाव के लिए कितने रूपये जमा कराना पड़ता है
उपराष्ट्रपति पद के लिए
चुनाव लड़ने जा रहे उम्मीदवार का नाम 20 मतदाताओं के द्वारा प्रस्तावित और 20 मतदाताओं के द्वारा समर्थित होना जरूरी है। साथ ही आवेदक
द्वारा 15,000 रुपए की जमानत राशि जमा करना भी जरूरी है।
इसके बाद निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और योग्य उम्मीदवारों
के नाम बैलट में शामिल किए जाते हैं। प्रत्याशी निर्वाचन अधिकारी को लिखित में
नोटिस देकर नाम वापस भी ले सकता है।
उपराष्ट्रपति पद का चुनाव के लिए अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति क्या है
उपराष्ट्रपति पद के लिए
चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से होता है। इसमें वोटिंग खास तरीके से होती है
जिसे सिंगल ट्रांसफ़रेबल वोट सिस्टम कहते हैं। चुनाव में वोटर एक ही वोट डाल सकता
है लेकिन अपनी पंसद के आधार पर प्राथमिकता तय कर सकता है. वह बैलट पेपर पर मौजूद
उम्मीदवारों में अपनी पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 और इसी तरह से आगे की प्राथमिकता देता है।
उपराष्ट्रपति बनने की घोंषणा कैसे की जाती है
राष्ट्रपति चुनाव की तरह ही
उपराष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है।
उपराष्ट्रपति वही बनता है, जो वोटरों के वोटों के कुल वेटेज का आधे से अधिक हिस्सा
हासिल करे। सबसे पहले देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों
को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं। फिर सभी को मिले पहली प्राथमिकता
वाले वोटों को जोड़ा जाता है। कुल संख्या को 2 से भाग किया जाता है और भागफल में 1 जोड़ दिया जाता है। इसके बाद जो संख्या मिलती है उसे वह
कोटा माना जाता है जो किसी उम्मीदवार को काउंटिंग में बने रहने के लिए ज़रूरी
है।अगर पहली गिनती में ही कोई कैंडिडेट जीत के लिए ज़रूरी कोटे के बराबर या इससे
ज़्यादा वोट हासिल कर लेता है तो उसे
जीता हुआ घोषित कर दिया
जाता है। अगर ऐसा न हो पाए तो प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है. सबसे पहले उस
उम्मीदवार को से बाहर किया जाता है जिसे पहली गिनती में
सबसे कम वोट मिले हों। लेकिन उसे पहली प्राथमिकता देने वाले वोटों में यह देखा
जाता है कि दूसरी प्राथमिकता किसे दी गई है। फिर दूसरी प्राथमिकता वाले ये वोट
अन्य उम्मीदवारों के ख़ाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। इन वोटों के मिल जाने से
अगर किसी उम्मीदवार के मत कोटे वाली संख्या के बराबर या ज़्यादा हो जाएं तो उस
उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है। अगर दूसरे राउंड के अंत में भी कोई
कैंडिडेट न चुना जाए तो प्रक्रिया जारी रहती है।सबसे कम वोट पाने वाले कैंडिडेट को
बाहर कर दिया जाता है। उसे पहली प्राथमिकता देने वाले बैलट पेपर्स और उसे दूसरी
काउंटिंग के दौरान मिले बैलट पेपर्स की फिर से जांच की जाती है और देखा जाता है कि
उनमें अगली प्राथमिकता किसे दी गई है। फिर उस प्राथमिकता को संबंधित उम्मीदवारों
को ट्रांसफ़र किया जाता है. यह प्रक्रिया जारी रहती है और सबसे कम वोट पाने वाले
उम्मीदवारों को तब तक बाहर किया जाता रहेगा जब तक किसी एक उम्मीदवार को मिलने वाले
वोटों की संख्या कोटे के बराबर न हो जाए. इलेक्शन हो जाने के बाद वोटों की गिनती
होती है और निर्वाचन अधिकारी नतीजे का ऐलान करता है।
उपराष्ट्रपति बनने के लिए एक व्यक्ति में इन बातों का होना जरूरी है-
वह शख्स भारत का नागरिक
होना चाहिए।
उसकी आयु 35 साल से कम नहीं होना चाहिए।
वह राज्यसभा का सदस्य
निर्वाचित होने के योग्य हो।
अगर कोई भारत सरकार या किसी
राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद रखता है तो वह उप राष्ट्रपति चुने जाने के
योग्य नहीं होगा।
अगर संसद के किसी सदन या
राज्य विधानमंडल का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति चुन लिया जाता है तो यह समझा जाता है
कि उन्होंने उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण करते ही अपना पिछला स्थान ख़ाली कर दिया है।
उपराष्ट्रपति की सैलरी
इस वक्त उपराष्ट्रपति की
सैलरी 1.25 लाख रुपये है जोकि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू
होने के बाद 3.5 लाख रुपये मासिक हो जाएगी. नई व्यवस्था का लाभ पूर्व
राष्ट्रपतियों को भी मिलेगा. यानी कि पूर्व राष्ट्रपतियों को अब पेंशन के रूप
में 1.5 लाख रुपये मिलेंगे. अभी तक यह इनको 75 हजार रुपये मासिक पेंशन मिलती है
Question – भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति 2018?
Ans – श्री वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति का नाम – वेंकैया नायडू
जन्म – 1 जुलाई 1990
वर्तमान पता – उपराष्ट्रपति निवास, 6 मौलाना आजाद रोड, नई दिल्ली
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